किसे हर वो राज बताएं
कोई मिला ना ऐसा दीवाना.........
जगा के हसरतें जो इस दिल को सुकून दे जाये
भुला के हकीक़त बेखुदी में
जो जीने का जुनून दे जाये
कोई मिला ना ऐसा दीवाना.........
हम सहारा देकर भूल गये
वो किनारा पाकर भूल गये
जो याद रखे हर पल को सदा
कोई मिला ना एसा दीवाना.........
हसरतें गर खुद की हैं नहीं
तो फर्क बहारों में मालूम होगा क्या
गुजर चूका है इक अरसा जिन्दगी का
अमल करते करते नसीहतों पर
मगर जहा हो जाऊं मैं अकेला
कोई मिला ना ऐसा विराना.........
ख्वाबो में हकीक़त को लाकर देखा
गैरों की खुदी में जी कर देखा
होती जिसे औरों की खबर
कोई मिला ना ऐसा अंजाना.........
किसे इस दिल में छुपायें
किसे हर वो राज बताएं
कोई मिला ना ऐसा दीवाना.........
सुन्दर जज्बातोँ से भरी सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और बेहतरीन रचना....:-)
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