जवाब क्या होगा उसका
अगर मैं पुछू की-
"क्यों कर रहा है
इस दुनियां को कंगाल,
कुछ ही तो हुनरमंद
थे जो बाकि यहाँ ??"
कौमा में थी वो शख्सियत
कुछ दिनों से,
कह चुकी है अलविदा आज
हर दिल की उमीदों से परे।
खो चुकी है गज़ल अपने सम्राट को
एक कलाकार को,
जिसने जिन्दा रखा अब तक
गायकी में गज़ल को ।
सुनकर दुःख हुआ की
वो नही रहे,
प्रख्यात गज़ल सम्राट जगजीत सिंहजी
नही रहे ।
छोड़ गये मायूसियाँ चेहरों पर
थी उम्मीद जिन्हें की
वो फिर लोटेंगे उसी अंदाज़ में
जिसने बना रखा था दुनिया को दीवाना ।
अफ़सोस है की वो नहीं रहे और
सच भी है की वो नहीं रहे,
बस छोड़ गये विरासत में
अपनी दर्द भरी आवाज ।
हर सूरत मानो यही कह रही है की
उठ गया है इस जग के सर से माँ का साया,
लगे भी क्यों न सुनते जो थे उन्ही की गज़ल
सोने से पहले लौरी की तरह ।
युगों-युगों तक
कोई और नहीं ले सकता उनकी जगह,
नहीं कर सकता इस छति की पूर्ति
जो मिली है आज कला के खजाने को ।
है उम्मीद की
वो जन्नत में भी
सबकी पहली
पसंद होंगे,
और और दुनिया की
हर धड़कन की और से
दुआ करता हूँ
की उनकी आत्मा को शांति मिले ।
मेरी ओर से जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि....
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