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रविवार, 4 दिसंबर 2011
किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी हैं...
किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी हैं
कंहा हो तुम के यह दिल बेकरार आज भी हैं
एक झलक पा जाने को तड़प रहा हूँ मैं
कभी भूल जाऊंगा तुझे इस बात से इंकार आज भी है
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2 प्रतिक्रियाएँ:
Kailash Sharma
13 दिसंबर 2011 को 2:06 pm बजे
बहुत सुंदर...
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संजय भास्कर
4 अप्रैल 2012 को 3:50 pm बजे
...यह कविता बहुत अच्छी लगी।
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बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएं...यह कविता बहुत अच्छी लगी।
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