अभी तो तड़प तड़प के रात की तनहाइयों से निकला हूँ ,
न जाने दिन के उजाले कितना और रुलाएंगे
काटने को दोड़ती हैं खामोशियाँ
ना जाने ये उजाले कितना और जलाएंगे
न जाने दिन के उजाले कितना और रुलाएंगे
काटने को दोड़ती हैं खामोशियाँ
ना जाने ये उजाले कितना और जलाएंगे
सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंwah kya baat h...
जवाब देंहटाएंhttp://rohitasghorela.blogspot.com
निहायत खूबसूरत
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